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दूरियां
एक सफ़र का आगाज़ किया था तुम्हारे साथ
हस्ते गाते अंजाम हासिल करेंगे ऐसी हुई थी बात
कुछ ही दूर चलते ही तुमको हमारी संगत पसंद ना आई
रास्ते की दूसरी और चले गये और बोले की अब ऐसे ही काटेंगे राहें
जाने अंजाने में इतनी दूरियां आ गयी है हमारे बीच में
तुम सड़क के ऊस तरफ से मुझसे कुछ कहती हो
बीच में शोर-ओ-गुल के चलते तेरे अल्फ़ाज़ कुछ खो जाते है
मैं अपने हिसाब से समझके इशारो से तुम्हे जवाब देता हूँ
पर तब तक तुम अपनी नज़र दूसरी और फेर लेती हो
इतने पास होने के बावजूद भी तेरे साथ का नसीब नही है
मैं फिर भी चलता रहता हू इस सफ़र में यही उम्मीद के साथ
की दूर चलके इस रास्ते के दोनो रुख़ मेलन-बा-मरकज़ हो जाये
तेरे मेरे सपने फिर से एक रंग हो जाये!!!
एक लम्बी छुट्टी पे चले!!
कूछ दिन के लिए ये गतिहीन ज़िंदगी से कही दूर भागे
यारो का साथ, एक गाड़ी और जेब मे थोड़ा सा पैसा हो
किसी हिल स्टेशन जाके सुरम्य सी जगह ढूँढके डाले डेरा
की मानो आस पास देखो तो धरती पे स्वर्ग के जैसा हो
हर रोज़ पहाड़ो के पीछे से सूरज हमें उठाने को आए
आराम से नींद काट रहा तन ज़रा भी ना हटना चाहे
खींचके रज़ाई दोस्त लोग कहे की उठ जा कमिने
देखनी है विभिन्न जगहे, तय करनी काफ़ी सारी राहें
गरमागरम तेज चाय पीकर शरीर को उत्तेजित करके
सुबह की सैर में पतझड़ के पट्टियों को कूचलते हम चले
पर्वत की चोटी से झील के किनारे तक का सफ़र तय करके
बैठ जाए वाहा और किताब पढ़ते हुए आगे का दिन निकले
शाम को अलाव के चारो और बैठके शरीर को गर्माहट दिलाते हुए
ठुसे हम तंदूरी चिकन और पीये हम मदिरा
पृष्ठभूमि में कोई रेडियो पे गाने चलाए
सुने हम रहमान साहब, बॉब डिलेन और शकीरा
मन मे छिपी हुई बातों को निगाहें बता दे
खामोशी में बयान हो जाए सभी कहानियाँ
दिल की आवाज़ एक दूसरे तक पोहचे
बकचोदी में मिट जाए सारी तनहाईयाँ
ऐसे यादगार लम्हे बीतें उन दिनो में
की मस्ती के बाद जब वापिस हम आए
आँखों में वो सारे हसीन पल संजोते हुए
एक और भी रंगीन सफरनामा लिखा जाए.